टोंटी वाला करवे का महत्व

 कार्तिक मास की कृष्ण  चतुर्थी यानी करवा चौथ पर हर प्रांत में विशेष पूजा की जाती है !इस व्रत में पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में प्रेम तथा सामंजस्य के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास किया जाता है और रात को चंद्रमा को अरग देते हैं! हमारी रस्मों में हर सुहागन नए-नए वस्त्र ,गहने , लाल बिंदी ,पूरी मांग भरना, हाथों में मेहंदी लगाना, लाल चूड़ियां पहनना ,पैरों में मेहंदी लगाना और अन्य सोलह सिंगार  किए जाते हैं तथा चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर करवा चौथ की फोटो को रखकर पूजा सामग्री के साथ एक मिट्टी का टोंटी वाला करवा लिया जाता है! उस पर मोली बांधकर रोली से स्वास्तिक बनाया जाता है तथा फिर उसे जल से भर दिया जाता है और उसके ऊपर सिंघाड़ा रखने का विशेष महत्व है तथा उस करवे को गेहूं के दानों पर रखा जाता है फिर करवा चौथ की कहानी कही जाती है! कहानी सुनकर अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए बहू अपने पल्लू में कुछ चावल के दाने बांध लेती है और रात्रि को चांद निकलने पर करवे से चंद्रमा को चांदी की अंगूठी से जल अर्पण किया जाता है ! चंद्रमा को नमन किया जाता है और चंद्र भगवान से अपने पति की लंबी आयु की कामना की जाती है तथा फिर पति अपनी पत्नी को जल ग्रहण करवाता है ! पत्नी अपने पति और अपने बड़ों  की शुभकामनाएं लेती है !पति को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन कर उपवास को पूर्ण किया जाता है! इस तरह व्रत को पूर्ण करके करवा चौथ को मनाया जाता है पति अपनी पत्नी को कुछ उपहार देकर पत्नी की प्रसंता को बढ़ा देते हैं! इस तरह हमारे भारतवर्ष में ऐसे छोटे-छोटे और बड़े-बड़े त्योहारों को परिवार के साथ बड़ी खुशियों से मनाया जाता है इनमें बच्चों से लेकर बड़ों में भी बहुत से उत्साह होते हैं जो बड़ी प्रसन्नता से मनाए जाते हैं!

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