यमराज की दिशा
🌼 मां, दिशा और यमराज 🌼
मां की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं...
कहना मुश्किल है।
पर वो जानती थी जैसे,
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है।
और उसी से प्राप्त सलाह के अनुसार,
वो जिंदगी जीने और दुख सहने के रास्ते ढूंढ ही लेती थी।
मां ने एक बार मुझसे कहा था —
"दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना,
वह मृत्यु की दिशा है।
और यमराज को क्रुद्ध करना,
बुद्धिमानी की बात नहीं..."
मैं तब छोटा था,
और मैंने जिज्ञासावश पूछा —
"यमराज का घर कहां है, मां?"
मां ने मुस्कुराकर कहा —
"तुम जहां भी हो, वहां से हमेशा दक्षिण में।"
उस दिन के बाद,
मैंने कभी दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोया।
मां की बात मानना जैसे
मुझे खुद को सुरक्षित महसूस कराता था।
पर इससे एक फ़ायदा ज़रूर हुआ —
दक्षिण दिशा पहचानने में मुझे कभी मुश्किल नहीं आई।
मैं दक्षिण में बहुत दूर गया,
कई शहर, कई रास्ते, कई मोड़ पार किए।
पर हर बार मां की याद आई।
कई बार लगा,
अगर दक्षिण को पूरी तरह लांघ पाता,
तो शायद यमराज का महल भी देख लेता।
पर धीरे-धीरे समझ में आया —
"तुम जिधर भी पैर करके सोओ,
वहीं दक्षिण दिशा हो जाती है।
यमराज के महल हर दिशा में हैं।
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आंखों सहित विराजते हैं..."
अब मां नहीं रही।
और यमराज की दिशा भी वैसी नहीं रही,
जैसी मां जानती थी।
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