मूत्रपथ संक्रमण रोग के लक्षण
मूत्रपथ संक्रमण रोग के लक्षण-
इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को पेशाब करते समय दर्द तथा जलन होती है।
रोगी व्यक्ति को रात के समय में बार-बार पेशाब आता है।
रोगी व्यक्ति के पेशाब के साथ पीब तथा रक्तकण भी निकलने लगता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी की कमर में दर्द तथा उल्टियां भी होने लगती है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाने के कारण स्त्री रोगी को योनि रोग भी हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग होने के कारण-
जब कोई मनुष्य मूत्र के वेग को बार-बार रोकता है तो उसे यह रोग हो जाता है।
पुरुषग्रन्थि के अधिक बढ़ जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जिन्हें गुर्दे का रोग होता है।
मधुमेह के रोगियों को भी मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाता है।
जननांग की ठीक तरह से सफाई न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले 2 दिनों तक उपवास रखना चाहिए। उपवास के समय रोगी व्यक्ति को अधिक मात्रा में फलों का रस पीना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग को ठीक करने के लिए रोगी को खीरे का रस, मूली का रस, पालक का रस तथा नारियल पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक प्रतिदिन सेवन कराना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। इस रोग में कच्चे नारियल का पानी, जौ का पानी, हरे धनिया का पानी, मट्ठा तथा फटे दूध का सेवन करना भी लाभदायक होता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए तथा भोजन में नमक बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।
काले तिल और शहद को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से मूत्रपथ संक्रमण रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन तुलसी का सेवन करने से मूतमूत्रपथ संक्रमण रोग के लक्षण-
इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को पेशाब करते समय दर्द तथा जलन होती है।
रोगी व्यक्ति को रात के समय में बार-बार पेशाब आता है।
रोगी व्यक्ति के पेशाब के साथ पीब तथा रक्तकण भी निकलने लगता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी की कमर में दर्द तथा उल्टियां भी होने लगती है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाने के कारण स्त्री रोगी को योनि रोग भी हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग होने के कारण-
जब कोई मनुष्य मूत्र के वेग को बार-बार रोकता है तो उसे यह रोग हो जाता है।
पुरुषग्रन्थि के अधिक बढ़ जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जिन्हें गुर्दे का रोग होता है।
मधुमेह के रोगियों को भी मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाता है।
जननांग की ठीक तरह से सफाई न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले 2 दिनों तक उपवास रखना चाहिए। उपवास के समय रोगी व्यक्ति को अधिक मात्रा में फलों का रस पीना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग को ठीक करने के लिए रोगी को खीरे का रस, मूली का रस, पालक का रस तथा नारियल पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक प्रतिदिन सेवन कराना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। इस रोग में कच्चे नारियल का पानी, जौ का पानी, हरे धनिया का पानी, मट्ठा तथा फटे दूध का सेवन करना भी लाभदायक होता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए तथा भोजन में नमक बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।
काले तिल और शहद को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से मूत्रपथ संक्रमण रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन तुलसी का सेवन करना
इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को पेशाब करते समय दर्द तथा जलन होती है।
रोगी व्यक्ति को रात के समय में बार-बार पेशाब आता है।
रोगी व्यक्ति के पेशाब के साथ पीब तथा रक्तकण भी निकलने लगता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी की कमर में दर्द तथा उल्टियां भी होने लगती है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाने के कारण स्त्री रोगी को योनि रोग भी हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग होने के कारण-
जब कोई मनुष्य मूत्र के वेग को बार-बार रोकता है तो उसे यह रोग हो जाता है।
पुरुषग्रन्थि के अधिक बढ़ जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जिन्हें गुर्दे का रोग होता है।
मधुमेह के रोगियों को भी मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाता है।
जननांग की ठीक तरह से सफाई न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले 2 दिनों तक उपवास रखना चाहिए। उपवास के समय रोगी व्यक्ति को अधिक मात्रा में फलों का रस पीना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग को ठीक करने के लिए रोगी को खीरे का रस, मूली का रस, पालक का रस तथा नारियल पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक प्रतिदिन सेवन कराना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। इस रोग में कच्चे नारियल का पानी, जौ का पानी, हरे धनिया का पानी, मट्ठा तथा फटे दूध का सेवन करना भी लाभदायक होता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए तथा भोजन में नमक बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।
काले तिल और शहद को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से मूत्रपथ संक्रमण रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन तुलसी का सेवन करने से मूतमूत्रपथ संक्रमण रोग के लक्षण-
इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को पेशाब करते समय दर्द तथा जलन होती है।
रोगी व्यक्ति को रात के समय में बार-बार पेशाब आता है।
रोगी व्यक्ति के पेशाब के साथ पीब तथा रक्तकण भी निकलने लगता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी की कमर में दर्द तथा उल्टियां भी होने लगती है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाने के कारण स्त्री रोगी को योनि रोग भी हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग होने के कारण-
जब कोई मनुष्य मूत्र के वेग को बार-बार रोकता है तो उसे यह रोग हो जाता है।
पुरुषग्रन्थि के अधिक बढ़ जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जिन्हें गुर्दे का रोग होता है।
मधुमेह के रोगियों को भी मूत्रपथ संक्रमण रोग हो जाता है।
जननांग की ठीक तरह से सफाई न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले 2 दिनों तक उपवास रखना चाहिए। उपवास के समय रोगी व्यक्ति को अधिक मात्रा में फलों का रस पीना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग को ठीक करने के लिए रोगी को खीरे का रस, मूली का रस, पालक का रस तथा नारियल पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक प्रतिदिन सेवन कराना चाहिए।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। इस रोग में कच्चे नारियल का पानी, जौ का पानी, हरे धनिया का पानी, मट्ठा तथा फटे दूध का सेवन करना भी लाभदायक होता है।
मूत्रपथ संक्रमण रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए तथा भोजन में नमक बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।
काले तिल और शहद को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से मूत्रपथ संक्रमण रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
प्रतिदिन तुलसी का सेवन करना
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