Real life stories

 दो सहेलियां दिया और आशा दोनों की नई-नई शादी हुई थी। दोनों की पर्सनल लाइफ बहुत अच्छे से गुजर रही थी। दोनों के पति अच्छी कंपनियों में काम कर रहे थे। त्योहारों का समय था। आप जानते हैं त्योहार के समय बाजार में ट्रैफिक अधिक होता है। पत्नी ने कहा बाजार चलते हैं। मैंने कुछ शॉपिंग करनी है। पति ने हां क ठीक है। दीया ने कहा, मैं तैयार होती हूं। 

उस ने तैयार होने में अधिक समय लगा दिया । पति को गुस्सा आ रहा था। फिर भी उसने कुछ नहीं कहा। सड़क पर ट्रैफिक अधिक होने के कारण रास्ते में एक्सीडेंट होते-होते बचा दीया ने पति से कहा, देखकर चलाइए। अभी एक्सीडेंट हो जाता। पति यह सहन ना कर सके। पति ने  गुस्से में आकर दीया को खरी खोटी सुना दी। क्या अब मुझे तुमसे सीखना पड़ेगा मुझे ड्राइविंग कैसे करनी है? दीया निर्माण में सोचा मैंने ऐसा भी क्या कहा जो कहा इनकी भलाई के लिए कहा फिर भी इतना गुस्सा मेरा क्या कसूर है? 

दीया को भी क्रोध आ गया। उसने कहा अब मेरा मूड बदल गया है आप घर चलो  पति ने भी गुस्से में आकर कार घर वापस ले ली। घर पर पहुंचने के बाद दोनों में फिर से कहासुनी हुई। सेम ऐसे ही आशा के घर भी हुआ बाजार चलते हैं? रास्ते में ट्रैफिक होने के कारण उनका भी एक्सीडेंट होते-होते रह गया। पत्नी ने कहा, देख कर चलाओ पति को क्रोध आ गया उसने अपनी पत्नी को डांट दिया। पत्नी ने कुछ जवाब नहीं दिया। पत्नी ने मन में सोचा  लगता है आज ऑफिस में अधिक काम था। लगता है बॉस ने कुछ कह दिया इसलिए परेशान है। 
पत्नी ने पति से लड़ने की वजह सॉरी कह कर बात को खत्म किया। दोनों नहीं बाजार में खूब शॉपिंग की आइसक्रीम खाईऔर खूब इंजॉय किया। दोनों खुशी-खुशी अपने घर आए। दोनों खूब खुश थे। दोनों में त्यौहार का खूब अच्छे से आनंद लिया। सिचुएशन दोनों जगह सेम थी। परंतु एक घर में खुशियां थी और एक घर में झगड़ा। फर्क केवल सोच का आपको जीवन में खुशियां चाहिए या दुख?

  शिक्षा   : रिश्तो को समझने की जरूरत होती है! 

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